About us

हमारे बारे में

संस्था द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए निरंतर प्रयास जारी है। झुग्गियों में बच्चे जिस माहौल में रहते हैं वहां उन्हें भीख मांगना ,कूड़ा उठना , नशा इत्यादि आदतें सीखने को मिल रही हैं। संस्था द्वारा बच्चों के विकास के लिए बहुत गहनता से विचार किया गया है। बच्चों को उचित माहौल और सभी सुविधाएं देकर अच्छी शिक्षा और संस्कार देने के लिए झुग्गियों से अलग रखने के लि ए छा त्रा वा स की शुरुआत के लिए प्रयास किए गए हैं जिसमें तलवंडी राणा ग्राम पंचायत का सहयो गरहा है। “भीख नहीं किताब दो ” छात्रावास तलवंडी राणा में स्थित धर्मशाला में बनाया गया । शुरुआत में यहां 11 बच्चों को रखा गया , उनकी एक नियमित समयसा रणी बनाई और बच्चों को बच्चों के  खाना -पीना , कपड़े, बिस्तर, नहाने धोने, पढ़ने के लिए उचित व्यवस्था की गई ताकि बच्चों को अच्छा माहौल मिले और उनका ध्यान पढ़ाई में लगे और अपने जीवन को सवारे।

हमारा नज़रिया

हर बच्चे को बचपन जीने का , बचपन सवारने का अधिकार है, किसी का भी बचपन सड़क पर, चौराहों पर, बाजारों में भीख मांग कर या मजदूरी करके व्यर्थ ना हो । बच्चे में विशेष प्रतिभा , गुण होते है, अगर उनको सही वातावरण मिले तो अच्छा व्यक्तित्व निखारा जा सकता है। जब तक एक भी बच्चा भीख मांगने को विवश है तब तक सारी उन्नति , सारी प्रगति अधूरी है। इनके अभिभावकों को प्रेरित करके, भविष्य के जीवन मूल्यों साझा कर इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। बच्चों को उनकी रूचि अनुरूप, स्वच्छ सुरक्षित एवं योजनात्मक तरीके से अगर परीक्षण दिया जाए तो उन्हें शिक्षा से जोड़ा जा सकता है। इसी दृष्टि कोण के साथ "भीख नहीं किताबें दो " अभियान में आगे बढ़ रहे है

हमारा विशेष कार्य

"भीख नहीं किताबें दो " यह एक अभियान है- जो हर भीख मांगने, कूड़ा उठाने, मजदूरी करने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए है । इस अभियान में बच्चों को ऐसा वातावरण दिया जाता है जिसमें सामान्य बच्चों की तरह स्कूल जाने लायक बने और पढ़कर अपना जीवन सुधार सके। इसके लिए शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक एवं अध्यात्मिक सहयोग व सुरक्षा प्रदान की जाती है। MISSION / अभियान बच्चों को उज्जवल जीवन प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाता है- बच्चों को सफाई रखने ,गाली गलौज छोड़ने, अच्छा व्यवहार करने, बड़ों का सम्मान करने, नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। जीवन में आत्मसम्मान और आत्मनिर्भर का होना कितना आवश्यक है ये सभी बच्चों को सिखाया जाता है। समाज के मुख्य धारा से जुड़कर समाज में आपसी तालमेल और सामाजिक रीति -रिवाजों के बारे में बहुत गहनता से बच्चों को बताया जाता है। साथ ही समाज के प्रति अपने कर्तव्य जिम्मेदारियों से भी बच्चों को अवगत करवाया जाता है।

VALUE / मूल्य

  • पहला किसी भी वित्तीय सहायता के लिए, संस्था का कोई भी सदस्य किसी से आग्रह नहीं करेगा । संस्था सदस्य अपनी सामर्थ्य अनुसार सहयोग करेगी व् कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से सहयोग कर सकता है।
  • संस्था सदस्य या संस्था से जुड़ा कोई भी व्यक्ति , झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोगों से, बच्चों से घृणा या भेदभाव भावना ना हो या ऐसा कोई व्यवहार नहीं करेंगे जिससे उनमें ही नता या छोटेपन की भावना आये।
  • कोई भी सहायता सामग्री या खाद्य पदार्थ सीधे बच्चों को इस प्रकार से ना दिया जाए जिससे उनकी भावनाओं को कोई ठेस पहुंचे।
  • बच्चों के सामने कोई केस स्टडी (CASE STUDY), उनके कोई पुराने अनुभव या ऐसे इतिहास पर चर्चा ना हो जिससे वो अपने आप को नीचा समझे। उदाहरण के तौर पर “ये बच्चे पहले भीख मांगते थे , यह बेचारे झुग्गी के गरीब बच्चे हैं, इनके मां-बाप कूड़ा बीनते हैं या यह बच्चे पहले घर में सब सफाई का काम करते थे” इस तरह के शब्दों का प्रयोग बच्चों के सामने ना किया जाये।
  • सभी बच्चों के समान दृष्टि से देखना ।
  • किसी भी आँकलन में बच्चों में भेदभाव ना हो । 
  • हर स्तर पर सभी प्रकार से बच्चों के लिए शारीरिक, मानसिक व सामाजिक तौर पर सुरक्षा वातावरण।
Meet our team

Teamwork makes the dream work

Matthew Harvey

Founder

Jennifer Burns

Co-Founder

Alicia Graham

Caregiver for Elders

Victoria Reynolds

Take care of Nursing